मेकप

ए लाडक्या सखे ग,
    मेकप करू नको ग...
लावण्य या निसर्गाचे,
    कृत्रीम करू नको ग...

काजळ भरूनी नयनी,
     पापण्या रंगवू नको ग...
लोचने भासती चेटकी,
     मझं घाबरवू नको ग...

मखमल तुझ्या या गाली,
     लाली फासू नको ग...
विदुषका परी ते भासे,
     मझं हासवू नको ग...

घनगर्द त्या बटांना,
    रंगवू तू नको ग...
घेऊनी घरटे ते शिरी,
   डौलात फिरू नको ग...

सर्कशी मधे फिरल्याचे
    भासवू तू नको ग...
ए लाडक्या सखे ग,
    मेकप करू नको ग...

1 comment:

  1. ekdam sahi sahi sahi..........shabdach nahit mazya kade toozya kavitechi tarif karayla kharch makeup karun asech vatate pahanaryala..........lagnat tar kay kele asate dev jane :D ata tooza ha post vachun tari mazya maitrinina namra vinanti....je chagle disate tech kara samorchya var atyachar karu naka :P

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